लद्दाख में सीमा विवाद के बीच लंबे समय से विवाद बना हुआ है.थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा किपूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध के दौरान भारतीय सैनिकों मैं जिस दृढ़ता के साथ चीनी सैनिकों का सामना किया इससे विश्व में मजबूत संदेश पहुंचा है |
सेवा प्रमुख मनोज पांडे ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के दौरान चीनी सैन्यबलो के सामने जिस दृढ़ता के साथ भारतीय सैनिक खड़े रहे, उसके कारण दुनिया ने उभरते भारत के राजनीतिक एवं सैन्य संकल्प को देखा.एक कार्यक्रम के दौरानअपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहाकि चीन का आक्रामक रवैया अपने क्षेत्र के बाहर शक्ति प्रदर्शित करने की उसकी निरंतर प्रवृत्ति में स्पष्ट नजर आता है और यह ‘नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा’ पेश करता हैजनरल पांडे ने अपने भाषण में हाल में भारतीय सेवा की मेजबानी में हुए हिंद प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन का भी जिक्र किया जहां हिंद प्रशांत क्षेत्र के 30 देश के सेना प्रमुखों या प्रतिनिधिमंडल के नेताओं की भागीदारी नजर आई.उन्होंने कहा,जिस दृढ़ता के साथ हम अप्रैल-मई 2020 के घटनाक्रम के दौरान अपने उत्तरी शत्रु के सामने डटकर खड़े रहे,उसके कारण दुनिया ने उभरते भारत के हमारे राजनीतिक सैया संकल्प का संज्ञान लिया.
विश्व में बढ़ा भारत का कद:
पैंगोंग झील क्षेत्र के हिंसक झड़प के बाद 5मई,2020 को भारतीय और चीनी सेनन के बीचपूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था.सेवा प्रमुख ने कहा किभारत आज भविष्य के प्रति अस्वस्थ आशावाद को दर्शाता है.उन्होंने कहा कि उपभोक्ता समृद्धि में सुधार हुआ है,जीवन स्तर बेहतर हुआ, हैसाक्षरता दर बड़ी है और हमारे लोगों की आकांक्षाएं बढ़ रही हैं
उन्होंने कहा,हम यह भी देख रहे हैं किअंतरराष्ट्रीय माहौल में हमारे देश का कद बढ़ रहा हैऔर विश्व समुदाय भारत को कैसे देखा है इसका एक नया नजरिया सामने आ रहा है. जनरल पांडे ने कहा कि जैसे-जैसे किसी देश का प्रभाव बढ़ता हैनई चुनौतियां सामने आती हैंकुछ लोग हमारे उत्थान पर सवाल उठाएंगे,कुछ इसका विरोध करेंगे,जबकि कुछ प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास करेंगे
युद्ध के चरित्र में आया बदलाव:
उन्होंने आगे कहा कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण संकेत यह है कि अस्थिर सीमाओं की हमारी विरासती चुनौतियां जारी है और “हमारे पश्चिमी और हमारे उत्तरी पड़ोसियों”के बीच मिली भगत के कारण यह बढ़ गई है.जनरल पांडे ने कहा संघर्षों की बात करें तो’\,युद्ध के चरित्र में गहरा बदलाव आया है,विघटनकारी प्रौद्योगिकियोंने आज पारंपरिक बाल अनुपात श्रेष्ठताओं को कुंद कर दिया है.बंदूके और टैंक जैसे गतिशील हथियारों ने भी -बड़ी हुई सटीकताऔर विनाशकारी क्षमता की दिशा में भारी प्रगति देखी है.उन्होंने कहा,अंतरिक्ष, समुद्र,इलेक्ट्रोमैग्नेटिकऔर साथ ही सूचना युद्ध केसंज्ञानात्मक डोमेन काप्रचलन तेजी से बड़ा है और आज के युद्ध क्षेत्र में परिणाम को गंभीर रूप से प्रभावित किया हैजनरल पांडे ने कहायह बदलावयुद्ध के स्थान को और अधिक जाती और संघर्षपूर्ण बना रहा है.
उन्होंने कहा,हाल के संघर्षों से मिले सबक से यह भी पता चला है कि किसी राष्ट्र की सुरक्षा को ना तो आउटसोर्स किया जा सकता है और ना ही दूसरों की उदारता पर निर्भर किया जा सकता है.एक राष्ट्र के रूप में,हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे राष्ट्रीय हित सुरक्षित रहें क्योंकि हम अपनी राष्ट्रीय दृष्टि को आगे बढ़ते हैं.भारतीय सेवा पूरी तरह से राष्ट्रीय दृष्टिकोण और उद्देश्यों के साथ जुड़ी और एकत्रित है